इक ओंकार सतनाम करता पुरख
निर्मोह निरवैर अकाल मूरत
अजूनी सभम गुरु परसाद
जप आद सच जुगाद सच है भी सच
नानक होसे भी सच
सोचे सोच न होवई
जे सोची लख वार
चुप्पे चुप न होवई
जे लाइ हर लख्तार
उखिया पुख न उतरी
जे बनना पूरिया पार
सहास्यानपा लख वो हई
ता एक न चले नाल
के वे सच यारा होइ ऐ
के वे कूड़े टुट्टे पाल
हुकुम रजाई चलना
नानक लिखिया नाल
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